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🌹🌹🌹 *कृष्ण लीला* 🌹🌹🌹
. एपिसोड - २१७ दि: ३१-५-२२
🙏 *श्रीकृष्ण-लीलाएं* 🙏
*रास पंचाध्यायी पहला अध्याय ••••••*
विशेष ~
२७वें अध्याय के नवमे श्लोक का विवरण
आज इस एपिसोड २१७ में सम्पूर्ण हो जायेगा।
*आभासार्थ ~*
(गोपियां कहती हैं कि) ......
ये लताएं स्त्रियां हैं और निष्फल हैं
अर्थात् इनसे भगवान् के सम्बन्ध में
पूछताछ में कोई लाभ नहीं है। ये न छाया कर सकती हैं और न फल खिला सकती हैं। केवल लक्ष्मीजी का पक्ष करती हैं, उनकी चोटी गूंथने के लिए पुष्प दे सकती हैं। अतः ये भी भगवान् का पता अपन को नहीं बतायेंगी। इसलिए इन स्वार्थियों को तो छोड़ो और चलकर महान् आम आदि वृक्षों से पूछो। यह विचार कर इस नवमे श्लोक मे *' चूत प्रियाल '* में उनसे पूछती हैं ....
*श्लोकार्थ ~*
हे चूत ! हे प्रियाल ! हे पनस ! हे अशन ! हे कोविदार ! हे जामुन ! हे अर्क ! हे बिल्व ! हे बकुल ! हे आम्र ! हे कदम्ब ! हे नीप !
*व्याख्यार्थ ~*
••• आम दो प्रकार के होते हैं। एक मीठे और दूसरे खट्टे। मीठे आम को चूत कहते हैं क्योंकि ये रस वाले होने से चूसे भी जाते हैं।
दूसरे प्रकार के आम जो साधारण मीठे और खट्टे होते हैं उनको आम्र कहते हैं। अथवा अलग-अलग समय पर उत्पन्न होने से एक को चूत और दूसरे को आम्र कहते हैं।
••• ' प्रियाल ' के बीजों में भी अधिक रस भरा रहता है।
••• ' पनस ' के फल बड़े होते हैं।
••• ' अशन ' आदि वृक्षों में पुष्प तथा फल मुख्य है।
••• ' मधूक ' आदि वृक्ष हैं, वे सब परोपकार के लिए ही उद्भूत हुए हैं।
वैसे देखा जाय तो सब वृक्ष परोपकार के लिए ही जन्में हैं। तो भी जिनका जन्म श्री यमुनाजी के तट पर हुआ है, वे तो तपस्वियों के समान वहां रहते हैं, वे अवश्य भगवान् को देखते हैं और अन्यों को भी ज्ञान कराते होंगे।
(इस आशा से गोपियां कहने लगी)......
हे वृक्षों ! सदानन्द भगवान् का पता बताओ कि भगवान् किस मार्ग से गये हैं? गोपियां वृक्षों को अपनी दीन स्थिति बताती हैं कि,
हे वृक्षों !
हम आत्मा से रहित हैं - जगत् में कितने विना गृह के, वा विना धन के अथवा विना देह के होंगे, किन्तु हम ही हैं जो विना आत्मा के हैं।
अतः हम सर्वथा दया के पात्र हैं, इसलिए हमको कृष्ण का पता बताओ।
(इस नवमे श्लोक का वर्णन आज सम्पूर्ण हुआ)
पुनश्च ~
*रास पंचाध्यायी के श्लोकों का संक्षिप्त वर्णन*
यथावत प्रवाहित रहेगा।
🙏
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